रविवार, 22 फ़रवरी 2009

निरुत्तर पहाड़

पहले पहाड़ उड़ते थे
हज़ारों साल पहले पहाड़ उड़ते थे
कौन उड़ाता था इन्हें
समय ? घटनायें ? या परिणाम ?

इतनी अस्थिरता इतनी उथल-पुथल थी
कि जहां नहीं थे पहाड़
सुबह वहां दिखाई देते थे पहाड़

एक बार पूरब से पश्चिम तक
उत्तर दिशा में जा बैठे निरुत्तर पहाड़
और अनुकूल देशांतर पाकर
वहीं जम गए
तब से बैठे हुए हैं उदास थके हुए पहाड़
लस्त-पस्त हाथ-पैर वाले
धंसते शरीर और टूटते डैनों वाले पहाड़

जिनके गिरते डैनों पर बसे हुए गांव
चले आ रहे हैं बहुत दूर
नीचे और नीचे
ऋषिकेश हरिद्वार
देहरादून दिल्ली
कलकत्ता बम्बई और मद्रास
हिमालय का कौन सा संदेश लेकर
जा रहे हैं ये गांव समुद्र के पास

-लीलधर जगूड़ी

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